धर्म, संस्कृति, रहस्य, ज्ञान, दर्शन
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Last Updated on July 28, 2025 |
Published on : July 28, 2025
तुम मुझे हरा ना सकोगे,
क्योंकि मैं पहले से ही हारा हुआ हूँ,
तुम मुझे मेरे सिंहासन से उतार ना सकोगे,
क्योंकि मैं जहाँ बैठा हूँ, वह अंतिम स्थान है।
तुम मुझे दु:ख न दे सकोगे, क्योंकि मैंने सुख की आकाँक्षा को ही विसर्जित कर दिया है ।
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